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अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत पहुंचे नेपाली PM, सुषमा ने किया स्वागत

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PBK NEWS | नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा बुधवार को 5 दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच गए हैं। इस दौरान उनका स्वागत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया। देउबा की इस यात्रा की शुरुआत दिल्ली से होगी, यहां वो एक बिजनेस इवेंट में भाग लेंगे।

भारत आने से पहले देउबा ने मंगलवार को अपनी कैबिनेट का विस्तार किया और 15 नए मंत्रियों को शामिल किया। इस नए विस्तार के साथ ही यह नेपाल के इतिहास में अब तक की तीसरी सबसे बड़ी कैबिनेट है। जून में सत्ता हस्तांतरण के तहत माओवादी नेता प्रचंड से उन्होंने पदभार ग्रहण किया है।

महरा ने कहा कि नेपाल भारत और चीन के साथ शांतिपूर्ण कूटनीति और वार्ता से सहयोग बनाए रखना चाहता है। 71 वर्षीय देउबा को नेपाली राजनीति में भारत के करीबी के रूप में जाना जाता है।

नेपाल में जिस समय संविधान को लेकर जिस समय राजनीतिक तूफान मचा हुआ है वैसे समय में उन्होंने सत्ता संभाली है। भारतीय मूल के लोगों को नेपाल में मधेशी कहा जाता है। संविधान के कुछ प्रावधानों को लेकर यह समुदाय आंदोलन कर रहा है।

इसी वर्ष नेपाल में बहु क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल का शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। बिम्सटेक में बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं।

नेपाल में 26 नवंबर को होंगे आम चुनाव

नेपाल सरकार ने 26 नवंबर को आम चुनाव कराने की घोषणा की है। नवगठित सात राज्यों के चुनाव भी साथ में ही कराए जाएंगे। 239 वर्षों की राजशाही खत्म होने के बाद हिमालयी देश में पहली बार संसदीय चुनाव कराए जाएंगे।

नए संविधान में 21 जनवरी, 2018 से पहले नई संसद के गठन का प्रावधान है। ऐसे में संसदीय चुनाव निर्धारित अवधि के मुताबिक ही कराने की घोषणा की गई है। कानून मंत्री यज्ञ बहादुर थापा ने कैबिनेट के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि देश में बहुत बड़ा उत्सव होने जा रहा है।’

बता दें कि संसदीय चुनाव प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के लिए व्यक्तिगत तौर पर भी बेहद महत्वपूर्ण है। नेपाल के अंतिम राजा ज्ञानेंद्र ने वर्ष 2002 में उन्हें अक्षम करार देते हुए पद से हटा दिया था। उन्हें माओवादियों को नियंत्रित करने और चुनाव न करा पाने के कारण अक्षम करार दिया गया था।

नेपाल में होने वाले चुनाव पर भारत और चीन की नजरें भी टिकी हैं। वर्ष 2006 में माओवादी संघर्ष खत्म होने के बाद से ही नेपाल राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रहे नेपाल को कभी मधेशी आंदोलन तो कभी भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा है।

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