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कर्मों से होगी हमारी पहचान,यही गीता का ज्ञान- वशिष्ट गोयल

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सोहना 5, अप्रैल : भगवत गीता का अध्ययन करने से पता चलता है हम सब आत्माएं एक दूसरे से जुड़ी हैं और ये जीवन हमारी आत्माओं के लिए एक परीक्षा समान है अपने भीतर से सबसे अच्छे रुप को बाहर निकालने का।भगवत गीता संसार का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है परन्तु
संस्कृत भाषा में लिखी होने के कारण बहुत से लोग इस से वंचित रह गए।
ये उदगार नव जन चेतना मंच के संयोजक वशिष्ट कुमार गोयल ने कल यहाँ सोहना में आयोजित भागवत कथा कार्यक्रम के दौरान अपने विचार सांझा किए।
गोयल ने कहा कि कुरुक्षेत्र के धर्म युद्ध में भाई भाई के बीच चल रहे युद्ध के दौरान मोहग्रस्त अर्जुन को कर्म करते रहने की शिक्षा देने के लिये भगवान श्रीकृष्ण के माध्यम से इसका अवतरण हुआ और उसके बाद ही अर्जुन पांडवो पर विजय श्री प्राप्त कर सके।
गोयल ने गीता के माध्यम से लोगों का आहवान किया कि उनके जीवन मे जो आजतक हुआ अच्छा ही हुआ और जो हो रहा है अच्छा है या जो होगा वो भी अच्छा ही होगा। तुम्हारा क्या गया जो रोते हो,तुम साथ क्या लाये जो खो गया।तुमने जो लिया यहीं से लिया और जो दिया यहीं पर दिया।
गोयल ने आगे कहा कि जीवन में हासिल करने के लिए तुम जो अच्छे बुरे कर्म करते हो वो तुम्हारे चले जाने के बाद यहीं रह जाएगा।अतः हमें चाहिए कि जीवन नें सभी तरह के लोभ लालच से दूर रहे और सद्कर्म करते करते दुनिया से जाएं ताकि मरने के बाद हम अपने आदर्शों और सदकर्मों से लोगों के बीच ज़िंदा रहे। इस मौके पर वहां उपस्थित श्री देवदत्त शर्मा एडवोकेट, पूर्व प्रधान बार एसोसिएशन श्री रजनीश अग्रवाल, अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति डॉ सर्वदानंद आर्य,विनोद नम्बरदार,राजकमल सिंगला, अमित गोयल,डॉ संजय दायमा,राजपाल फौजी,राजेंद्र दायमा,देव भाटी,मनोज भाटी,गौरव मोंगिया,लाल सिंह, मुकेश सैनी, यशपाल सैनी, भागीरथ सैनी, हैप्पी, पप्पू गुप्ता,चिराग गोयल,विकास गर्ग,रोहित गर्ग, मनोज एडवोकेट आदि सभी गणमान्य लोग व नव जन चेतना मंच की पूरी टीम मौजूद रही।

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