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गीता को जीवन में शामिल कर लक्ष्य प्राप्ति का प्रयास करें : जीएल शर्मा

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गुरुग्राम/18 दिसम्बर (अजय) : श्रीमद्भागवदत गीता मात्र एक धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन व जगत का सार है जिसे कुरूक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अपने मुख से सुनाया। सृष्टि में न जाने कितनी सभ्ताएं आईं-गईं, युग बीता परंतु श्रीमद्भागवद का संदेश देशकाल की सीमा से परे मानव जगत के पथ-प्रदर्शक के रूप में आज भी प्रसांगिक है। यह विचार सोमवार को हरियाणा डेयरी विकास प्रसंघ के चेयरमैन जीएल शर्मा ने यहां सेक्टर 44 स्थित अपैरल हाउस में आयोजित गीता महोत्सव समारोह के दौरान उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर व्यक्त किए। इस दौरान यहां गीता पर एक भव्य प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।

इस पवित्र मौके पर जीएल शर्मा ने कहा कि गीता जीवन का सार है। आप सभी इसे अपने जीवन में शामिल कर किसी भी लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, जीवन में किसी भी समस्या से निजात दिलाने को भी गीता के बचन मददगार होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने फैसला किया कि हम गीता जयंती महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय समारोह के रूप में भव्यता के साथ मनाएंगे ताकि न केवल प्रदेश-देश बल्कि पूरा विश्व भी श्रीगीता ज्ञान के आलोक में प्रकाशित हो। यह संपूर्ण मानव जाति की बड़ी सेवा है।

उन्होंने कहा कि बीते 13 दिसम्बर को गीता जयंती पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कुरूक्षेत्र में श्रीमद्भागवद गीता के मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच इस महोत्सव का आगाज किया था जो जिला स्तर भी पूरे प्रदेश में कल तक चलेगा। सरकार का प्रयास है कि न केवल आर्थिक व सामाजिक अपितु आध्यात्मिक रास्ते से भी जनकल्याण के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाए ताकि स्वस्थ्य,सुंदर व शांतिमय समाज का निर्माण हो सके।

उन्होंने उपस्थित जनसामान्य का आह्वान किया कि वे श्रीगीता के संदेश व उसके निहितार्थ सार को लेकर चिंतन-मनन करें। उस आधार पर निश्चित तौर पर आपका व्यक्ति, समाज व जीवन के प्रति देखने का नजरिया बदलेगा। आप स्वयं का सही आकलन कर सकेंगे, मन पर नियंत्रण कर सकेंगे। उन्होंने कहा, गीता में कर्म का विशेष महत्व है और निश्चित ही हर काम का फल मिलता है, इसलिए यहां फल की चिंता किए बिना कर्म करने का आग्रह है।

इस मौके पर उन्होंने सुंदर गीता जयंती महोत्सव समारोह के आयोजन के लिए जिले के प्रबुद्धजनों, सामाजिक-धार्मिक-आध्यात्मिक संगठनों व प्रशासनिक अधिकारियों की प्रशंसा की।

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