[post-views]

प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप भारत 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है- डॉ. जितेंद्र सिंह

44

नई दिल्ली, 29सितंबर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप भारत 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

डॉ. जितेंद्र सिंह गुरूवार को नई दिल्ली में ‘ग्रीन रिबन चैंपियंस’ कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कहा, “हम अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी द्वारा अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में योगदान देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत पंचामृत कार्य योजना के अंतर्गत अपने अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए तैयार है, जैसे 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को प्राप्त करना; 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का कम से कम आधा हिस्सा प्राप्त करना; 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को एक बिलियन टन तक कम करना; 2030 तक कार्बन तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करना; और अंततः में 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करना।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने नवंबर, 2021 में ग्लासगो, यूनाइटेड किंगडम में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पक्षकारों के सम्मेलन (सीओपी26) के 26वें सत्र में भारत की जलवायु कार्य योजना के पांच अमृत तत्वों (पंचामृत) को दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हुए भारत की जलवायु कार्य योजना (सीएपी) में तेजी लाने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि भारत के लिए पांच-आयामी लक्ष्य और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन की अपनी प्रतिबद्धता के अलावा, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एक सतत जीवन शैली का पालन करने की आवश्यकता पर भी बल दिया था और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा बिरादरी द्वारा अपनाए जा रहे साहसिक कदमों के माध्यम से ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ (लाइफ) को एक वैश्विक मिशन बनाने के विचार पर बल दिया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में मिशन इनोवेशन (एमआई) और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की घोषणा 2015 में सीओपी21 में की गई थी, जब संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ अवॉर्ड 2018’ से सम्मानित किया था।

‘मिशन इनोवेशन’ शब्द प्रधानमंत्री श्री मोदी ने दिया था। मिशन इनोवेशन (एमआई) 23 देशों और यूरोपियन आयोग (यूरोपियन संघ की ओर से) की एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में तेजी लाना और पेरिस समझौते के लक्ष्यों और नेट-जीरो उत्सर्जन की दिशा में प्रगति करना है। भारत मिशन इनोवेशन का संस्थापक सदस्य है।

मिशन इनोवेशन (एमआई) (2015-2020) के पहले चरण की घोषणा 30 नवंबर, 2015 को सीओपी21 में की गई थी। मिशन इनोवेशन के पहले चरण में, भारत ने तीन एमआई इनोवेशन चुनौतियों का नेतृत्व किया, जिसमें स्मार्ट ग्रिड, बिजली और सतत जैव ईंधन के लिए ऑफ ग्रिड पहुंच और कई कार्यशालाओं की मेजबानी करना शामिल है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों के लिए वित्तपोषण सुनिश्चित कर रही है, जैसा कि मिशन नवाचार 2.0 के अंतर्गत परिकल्पित किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) संरचना भारत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा विकास में अपने योगदान का प्रदर्शन करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है और उन्होंने कुछ प्रमुख सीईएम पहलों का उल्लेख किया, जिसमें सीईएम का ग्लोबल लाइटिंग चैलेंज (जीएलसी) अभियान, स्ट्रीट लाइटिंग राष्ट्रीय कार्यक्रम, सभी के लिए किफायती एलईडी द्वारा उन्नत ज्योति (उजाला) कार्यक्रम और ‘वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड’ पहल शामिल है, जिसकी शुरुआत पहली बार प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सौर ऊर्जा की जबरदस्त क्षमता का दोहन करने के लिए किया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सितंबर, 2023 की शुरुआत में हुए जी20 शिखर सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि नई दिल्ली घोषणापत्र ने भारत की ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट मिशन’ (लाइफ) की पहल को लागू करने और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ‘हरित विकास संधि’ को अपनाकर, जी20 ने सतत और हरित विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं की भी पुष्टि की है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रमुख जैव ईंधन उत्पादकों और उपभोक्ताओं के रूप में भारत, ब्राजील और अमेरिका के नेतृत्व में ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस (जीबीए), 2070 तक भारत के नेट-जीरो बनने के भारत के एमडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत मददगार साबित होगा।

उन्होंने कहा कि “जीबीए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जिस पर सिंगापुर, बांग्लादेश, इटली, अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं ने जी20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर अपनी सहमति व्यक्त की है। जीबीए का उद्देश्य एक उत्प्रेरक मंच के रूप में कार्य करना है, जैव ईंधन की उन्नति और इसे व्यापक रूप से अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती से निपटने में सबसे आगे है और वर्ष 2005 के स्तरों की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 33-35 प्रतिशत तक कम करने के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) देने के लिए प्रतिबद्ध है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “भारत सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच नवीकरणीय क्षमता को बढ़ाने में सबसे तेज़ गति प्राप्त करने और प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा सीओपी26 में भारत की पंचामृत घोषणा में व्यक्त किए गए महत्वाकांक्षी परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में अपने पारगमन में दृढ़ रहा है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले 09 वर्ष जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारतीय धर्मयुद्ध के साक्षी रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने 2030 के पेरिस समझौते के लक्ष्य से बहुत पहले ही नवीकरणीय स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा उत्पादन की अपनी प्रतिबद्धता प्राप्त कर ली है।

मंत्री ने दोहराया कि भारत वैश्विक रूप से सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम को लागू कर रहा है, जिसमें समग्र नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 5 गुना वृद्धि की परिकल्पना की गई है।

उन्होंने कहा कि सौर और पनबिजली से नवीकरणीय ऊर्जा पर बल देने के अलावा, प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2021 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में हाइड्रोजन ऊर्जा में बड़ी प्रगति की घोषणा की थी। भारत ने लागत प्रतिस्पर्धी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की भी शुरुआत की है।

उन्होंने कहा “भारत की ऊर्जा-मिश्रण रणनीतियों में स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों में एक बड़ा बदलाव, विनिर्माण क्षमताओं में वृद्धि, ऊर्जा उपयोग दक्षता और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों सहित हाइड्रोजन के लिए एक नीतिगत विस्तार शामिल है। इसके अलावा, 2जी इथेनॉल पायलट, उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के लिए कम्फर्ट क्लाइमेट बॉक्स, हाइड्रोजन वैली, हीटिंग और कूलिंग वर्चुअल रिपॉजिटरी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां विचार-विमर्श के लिए शामिल हैं।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने जैव आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप और रणनीति विकसित की है जो वर्ष 2025 तक 150 बिलियन अमरीकी डालर की दिशा में आगे बढ़ रही है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग उन्नत जैव ईंधन और ‘अपशिष्ट से ऊर्जा’ प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास नवाचारों का समर्थन कर रहा है। भारत ने आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करके उन्नत सतत जैव ईंधन पर काम करने वाली एक अंतर्विषयक टीम के साथ 5 जैव ऊर्जा केंद्र स्थापित किए हैं।

उन्होंने कहा कि इससे कम कार्बन वाले जैव-आधारित उत्पादों के जैव-निर्माण के लिए अवसंरचना की सुविधा प्राप्त होगी। परिवहन क्षेत्र से ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने में चिरस्थायी जैव ईंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिसने 20 वर्षों के दीर्घकालिक दृष्टिकोण (2017-18 से 2037-38 तक) के साथ कूलिंग एक्शन प्लान (सीएपी) तैयार किया है।

उन्होंने कहा, “सीएपी आवासीय और वाणिज्यिक भवनों, कोल्ड चेन आदि की ओर से शीतलन की मांग में कमी लाने के लिए संभावित कार्यों की पहचान करता है, जिसमें भवन डिजाइन और तकनीकी नवाचारों के पहलुओं को शामिल किया जाता है, जो ऊर्जा दक्षता से कोई समझौता नहीं करते हैं।”

यह याद करते हुए कि उन्होंने 21 अगस्त 2022 को पुणे में केपीआईटी-सीएसआईआर द्वारा विकसित भारत की स्वदेशी रूप से विकसित पहली हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का शुभारंभ किया था, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा हरित हाइड्रोजन को एक समर्पित मिशन बनाने के भारत के उद्देश्य की घोषणा करने के बाद से पिछले दो वर्षों में किए गए श्रमसाध्य कोशिशों की परिणति इस वर्ष जनवरी में लगभग 2.4 बिलियन डॉलर के बजटीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा के साथ हुई।

उन्होंने कहा कि भारत में ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्‍टम के लिए एक मसौदा अनुसंधान और विकास रोडमैप जारी किया गया है। मिशन के अंतर्गत अनुसंधान और विकास के लिए रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार साझेदारी या शिप नामक एक पीपीपी ढांचे की सुविधा प्रदान की जाएगी।

उन्होंने कहा कि “भारत न केवल अपने प्रचुर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों और दुनिया की सबसे कम लागतों में से पुनरुत्पादन के लाभों के आधार पर ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में एक प्रमुख वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए तैयार है, बल्कि अपने आर एंड डी इकोसिस्‍टम और हाइड्रोजन उत्पादन के क्रॉस-कटिंग क्षेत्रों में आर एंड डी के लिए डिज़ाइन की गई संरचना, परिवहन, इलेक्ट्रोलाइज विनिर्माण, समर्थन अवसंरचना, ईंधन सेल ईवी, भंडारण और उपयोग के कारण भी।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत के परमाणु स्रोतों से विद्युत का लगभग 9 प्रतिशत योगदान प्राप्त होने का अनुमान है। परमाणु ऊर्जा विभाग का लक्ष्य वर्ष 2030 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन की 20 गीगावॉट क्षमता प्राप्त करना है जो अमेरिका और फ्रांस के बाद भारत को दुनिया में परमाणु ऊर्जा के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक देश के रूप में स्थापित करने के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर साबित होगा।

उन्होंने कहा, “इस महत्वपूर्ण तेजी का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जाता है, जिन्होंने आजादी के बाद पहली बार एक ही बार में श्रृंखलाबद्ध रूप से 10 रिएक्टरों को मंजूरी देने का निर्णय लिया और सार्वजनिक उपक्रमों के साथ संयुक्त उपक्रम के अंतर्गत परमाणु प्रतिष्ठानों को विकसित करने की अनुमति प्रदान की। परिणाम स्वरूप, आज भारत दुनिया में कार्यात्मक रिएक्टरों की संख्या में छठा सबसे बड़ा है और निर्माणाधीन रिएक्टरों सहित रिएक्टरों की कुल संख्या में दूसरा सबसे बड़ा है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मत्स्य पालन, समुद्री अनुसंधान, तटीय पर्यटन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में चिरस्थायी प्रथाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था की क्षमता का उपयोग करके हम सतत और जिम्मेदार रूप से आर्थिक विकास प्राप्त करते हुए अपने महासागरों का कल्याण सुनिश्चित कर सकते हैं। हमें अपने महासागरों में प्लास्टिक और माइक्रोप्लास्टिक्स में वृद्धि के बारे में भी चिंता करना चाहिए, यह एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जिनपर हमें ध्यान केंद्रित करना है क्योंकि यह हमारी खाद्य श्रृंखला का हिस्सा है और कई समुद्री जीव उनका उपभोग करते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि संसद द्वारा पिछले मॉनसून सत्र में पारित राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक, 2023 से भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और इससे भारत में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और मिशन नवाचार को और ज्यादा प्रोत्साहन मिलेगा। पांच वर्षों के दौरान इसमें 50,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसकी 70 प्रतिशत फंडिंग गैर-सरकारी स्रोतों से प्राप्त होगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने और इसमें कमी लाने के देशों की कोशिशों के बावजूद, वर्ष 2100 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से लगभग 2.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की उम्मीद है। मंत्री ने कहा कि यह पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्यों से कम है, जिसमें सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक युग के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का आह्वान किया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि परिशुद्ध सिंचाई, जल शोधन प्रणाली, अलवणीकरण तकनीक और अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकियों जैसी नवीन स्वच्छ जल प्रौद्योगिकियों को और ज्यादा बढ़ावा देना है और उन्हें लागू करना है।

Comments are closed.