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खाशोगी सहित दुनिया के 4 बहादुर पत्रकार बने ‘टाइम पर्सन ऑफ द ईयर’

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नई दिल्ली। दुनियाभर में अन्याय के खिलाफ कलम से मोर्चा लेने वाले पत्रकार यानि असली हीरोज को अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका टाइम मैगजीन ने इस साल का ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ चुना है। पर्सन ऑफ द ईयर का सम्मान इस बार चार पत्रकारों और एक अखबार को संयुक्त रूप से दिया गया है। इन्हें पत्रिका ने दुनिया भर में लड़ी जा रही असंख्य जंगों का प्रतिनिधि बताया है। इसमें कई ऐसे पत्रकार हैं जिनकी या तो हत्या कर दी गई या फिर उन्हें अपने काम के लिए सजा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। इसमें सऊदी अरब के दिवंगत पत्रकार जमाल खाशोगी के अलावा म्यांमार सरकार द्वारा जेल में बंद किए गए एक समाचार एजेंसी के पत्रकार भी शामिल हैं। पत्रिका ने इस सबको अपनी कवर स्टोरी बनाकर ‘द गार्जियन्स एंड द वॉर ऑन ट्रुथ’ शीर्षक के साथ प्रकाशित किया है। इन लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष के लिए यह सम्मान मिला है। पत्रिका 1927 से पर्सन ऑफ द ईयर टाइटल से सम्मानित करता आ रहा है।
एक एजेंसी के दो पत्रकारों 32 साल के वा लोन और 28 साल के क्यो सू ओउ पर औपनिवेशिक काल के एक कानून आधिकारिक गोपनीयता एक्ट की धारा लगाकर म्यांमार सरकार ने करीब एक साल से जेल में बंद रखा हुआ है। इस मामले से पता चलता है कि म्यांमार में सही मायने में कितनी लोकतांत्रिक आजादी है। यह पत्रकार वहां से भगाए जा रहे रोहिंग्या मुसलमानों की रिपोर्टिंग कर रहे थे, जिससे सरकार नाराज थी। एक अमेरिकी अखबार के पत्रकार सऊदी अरब के जमाल खाशोगी 2 अक्तूबर को कुछ कागजात लेने के लिए इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास गए थे और उसके बाद लापता हो गए। घटना के कुछ दिन बाद तुर्क अधिकारियों ने कहा कि उन्हें मारने के इरादे से तुर्की भेजे गए 15 सऊदी अरब के एजेंटों ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी। खाशोगी सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के आलोचक माने जाते थे।
इनके अलावा मैरीलैंड के एनापोलिस के एक अखबार को भी चुना गया। जून में अखबार के दफ्तर पर हुए हमले में पांच लोग मारे गए थे। साथ ही फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा को भी गार्जियन ऑफ ट्रूथ माना गया, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। वर्ष 2016 में टाइम पर्सन ऑफ द ईयर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बार भी मुख्य दावेदार थे लेकिन अंत में वह दूसरे स्थान पर रहे। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की जांच कर रहे विशेष काउंसर रॉबर्ट मुलर तीसरे स्थान पर रहे।

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