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मन की बात बच्चों को बनाती है आत्मनिर्भर : अशोक यादव

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PBK News, 13 जुलाई (ब्यूरो) : बच्चों द्वारा दोस्तों तथा अपने अभिभावकों के सामने की जाने वाली मन की बातें बच्चों को आत्मनिर्भर बनाती है जिसके बाद उनका भविष्य भी वही से तय होना शूर हो जाता है इन बातों को ध्यान में रखने वाले माता पिता को अपने बच्चे का भविष्य उज्जल बनाने में काफी मदद मिलती है

अशोका इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक अशोक यादव कहते है एक बच्चे ने लिखा कि बीस साल बाद मैं बड़ा हो जाऊंगा। हमारी पढ़ाई पूरी हो जाएगी। हम पास हो जाएंगे । हम सबको कोई न कोई नौकरी मिल जाएगी। हमारी शादी भी हो जाएगी। आधे लड़के तो शादी के बाद अहमदाबाद, हिम्मतनगर और दिल्ली काम करने चले जाएंगे और बाकी नौकरी पर लग जाएंगे।

अशोक यादव बताते है कि बच्चे सोचते हुए कहते है कि बाहर नौकरी करने के बाद जब हम होली, दीपावली जैसे त्योहारों पर घर लौटेंगे तो पैसे लेकर आएंगे। अपनी पत्नी और माता-पिता को  पैसे देंगे। तब तक हमारे बच्चे बड़े हो जाएंगे। उनकी पढ़ाई पूरी होने के बाद उनकी भी नौकरी लग जाएगी। उनकी भी शादी हो जाएगी। तब उनके भी बच्चे हो जाएंगे। वे जो भी कमा कर लाएंगे, अपनी पत्नी को देंगे।

बच्चों की बातों से साफ जाहिर है कि पलायन होना तो तय है। काम और नौकरी के सिलसिले में घर छोड़ने के लिए भी वे मानसिक रूप से तैयार हैं। बाहर जहां वे काम के सिलसिले में जाएंगे, वहां अपनी पत्नी और माता-पिता को नहीं ले जा सकते। इसलिए नौकरी से घर वापस आने पर उनको पैसे देंगे ताकि वे अपनी देखभाल कर सकें। शादी को वे जीवन के अनिवार्य हिस्से के रूप में देखते हैं। वे पत्नी के अस्तित्व को बच्चों के साथ जोड़कर परिभाषित करते हैं। वे उनसे अपेक्षा रखते हैं कि वे घर पर रहकर घरेलू कामों जैसे खेती-बारी, पशुपालन और खाना बनाने में माता-पिता का सहयोग करेंगी।

बच्चों के लेखन में उपरोक्त बातों का आना, इस तथ्य की तरफ संकेत करता है कि वे आस-पड़ोस में होने वाले तमाम जीवन व्यवहारों से परिचित हैं। वे अपने जीवन की सार्थकता इन्हीं सामाजिक भूमिकाओं के निर्वहन में समझते हैं। इसलिए वे अपने बच्चों की भूमिकाओं के बारे में बात करते हुए, अपनी भूमिकाएं उन्हें सौंपते हुए नज़र आते हैं।

मैं बड़ी होकर स्कूटी चलाऊंगी

लड़कियों के सपनों में भी नौकरी और बेहतर जीवन के सपने आकार ले रहे हैं। जो उनके लेखन से समझी जा सकती है। रचना कुमारी  लिखती हैं, “बीस साल बाद हम बड़े हो जाएंगे। फिर नौकरी पर लगेंगे। हम बदल जाएंगे। गांव भी बदल जाएगा। मेरा एक सपना है कि मैं डॉक्टर बनूं।

रचना आगे लिखती हैं, “बीस साल में तो सबकुछ बदल जाएगा। गांव के सारे लोग बदल जाएंगे। हम अभी जिस स्कूल में पढ़ रहे हैं, वहां के गुरू जी याद आएंगे। दुकानें बदल सकती हैं। किसी का मकान बदल सकता है। बीस साल के बाद हम शादी शुदा हो जाएंगे। जो अभी बड़े हैं, वे मर जाएंगे। जो छोटे बच्चे हैं, वे बड़े हो जाएंगे। हमारी स्कूल की खाली जगह पर भी कमरे बन जाएंगे। स्कूल का पूरा सामान बदल जाएगा। हमारी स्कूल भी बदल जाएगी। हो सकता है कि हमारी गाड़ी भी बदल जाए। इस तरह के भाव बच्चों को आत्मनिर्भर भी बनाते है

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