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आधार क्या राइट टू प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन करता है? दो दिनों तक संविधान पीठ करेगी सुनवाई

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PBK NEWS | नई दिल्ली: आधार क्या राइट टू प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन करता है ? और  आधार के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ दो दिन सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में सुनवाई के बाद यह व्यवस्था दी है.  यह सुनवाई 18 और 19 जुलाई को होगी.

आज कोर्ट में सुनवाई पर सीजेआई जे एस खेहर ने केंद्र और याचिकाकर्ता के आग्रह पर पांच जजों की बेंच में सुनवाई को मंजूरी दी. सीजेआई ने कहा कि दो दिनों में ही बहस पूरी हो जाएगी इसलिए सारे पक्ष अपनी तैयारी कर लें.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा था कि आधार को लेकर निजता के हनन समेत जो मुद्दे आ रहे रहे हैं, उनका हल 5 जजों की संविधान पीठ ही कर सकती है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता और केंद्र को कहा कि वो मामले को चीफ जस्टिस के पास जाएं और संविधान पीठ के गठन की गुहार लगाएं. सुप्रीम कोर्ट ने  आधार को लेकर अंतरिम रोक संबंधी आदेश जारी करने से इंकार कर दिया था।.

उधर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार आधार को एकाग्रता शिविर (Concentration camp) की तरह इस्तेमाल कर रही है ताकि वो एक जगह से ही सब नागरिकों की गतिविधियों पर नजर रख सके. वहीं एजी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये शब्द सही नहीं है.

जन कल्याणकारी​ योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.  पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि जन कल्याणकारी​ योजनाओं को लाभ 30 सितंबर तक उन्हें भी मिलेगा जिनके पास आधार कार्ड नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा था कि जिनके पास आधार नहीं है वो 10 में से किसी भी दूसरे पहचान पत्र को दिखाकर जन कल्याणकारी​ योजनाओं का लाभ ले सकते है. जैसे राशन कार्ड, वोटर कार्ड आदि.

दरअसल शांता सिंहा व अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कल्याणकारी​ योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को जोड़ने के लिए सरकार ने तीस जून की डेडलाइन तय कर रखी है जो कि पूरी तरह अवैध है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है.

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