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भरपूर नींद नही लेने से महिलाओं में बढ़ रहे ये रोग : डॉ. ऋतू

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गुड़गांव, 28 मार्च (अजय) : महिलाओं में दिनप्रति दिन बढ़ते मानसिक एवं तनाव के मुख्य कारण भरपूर नींद नही लेना है जिसकी वजह से महिलाओं में दिनभर थकाव, कमरदर्द रहना, समय पर खाना ही खाने की वजह से पेट में गेस बनना इत्यादि बढ़ जाती है उक्त विषय में बादशाहपुर स्थित स्वास्तिक अस्तपाल की डॉ. ऋतू खिरोलिया ने बोलते हुए कहा उन्होंने कहा कि एक शोध में यह बात सामने आई है कि भारत में 20.3 प्रतिशत रोगी डॉक्टरों से नींद की गोलियां लिखने को कहते हैं। इस चीज से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि लोगों में न कितनी नींद की कमी है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है, लेकिन एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग स्लीप एप्निआ यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनजान हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं तो उसे नियमित नहीं बना पाते हैं।

नींद अभी भी प्राथमिकता नहीं

67 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अच्छी नींद की जरूरत महसूस की, लेकिन यह उनकी प्राथमिकता में शामिल नहीं है। भारत में 66 प्रतिशत लोग मानते हैं कि तंदुरुस्ती के लिए नींद से ज्यादा व्यायाम जरूरी है, जबकि चिकित्सकों का मानना है कि प्रतिदिन छह से आठ घंटे नींद लेना जरूरी है।

अच्छी नींद पाने के प्रयास

दुनियाभर में 77 प्रतिशत वयस्कों ने अपनी नींद में सुधार की कोशिश की है। लोकप्रिय प्रयासों में शामिल हैं सुखदायक संगीत (36 प्रतिशत) और सोने के समय उठने के समय सारिणी का पालन (32 प्रतिशत) सहित अन्य। भारतीय उत्तरदाताओं में से 45 प्रतिशत वयस्कों ने बताया कि उन्होंने अच्छी नींद के लिए ध्यान केंदित करने की कोशिश की, जबकि 24 प्रतिशत वयस्कों ने अच्छी नींद लेने और उसे बनाए रखने के लिए विशेष बिस्तर को अपनाया।

युवा पीढ़ी की अलग सोच

युवा पीढ़ी (18 से 24 वर्ष आयु वर्ग) नींद के बारे में अलग ढंग से सोचती है। इन युवाओं के पास सोने का समय निर्धारित होने की संभावना कम है, फिर भी वे हर रात अधिक नींद लेते हैं यानी 7.2 घंटे सोते हैं। इनकी तुलना में 25 वर्ष से अधिक के लोग 6.9 घंटे ही सोते हैं। वे अच्छी नींद लेने की आदत न अपनाने पर भी ज्यादा अपराध बोध महसूस करते हैं (35 वर्ष से अधिक आयु के 26 प्रतिशत की तुलना में 35 प्रतिशत)।

अच्छी नींद में बाधाएं

61 प्रतिशत लोगों का कहना था कि किसी बीमारी के इलाज के दौरान उनकी नींद प्रभावित होती है। इनमें से 26 प्रतिशत अनिद्रा से और 21 प्रतिशत खर्राटों की वजह से पीड़ित हैं। 58 प्रतिशत लोग मानते हैं कि चिंता उनके लिए अनिद्रा का कारण है और 26 प्रतिशत लोग मानते हैं कि प्रौद्योगिकी विकर्षण अच्छी नींद में बधक है। भारत में19 प्रतिशत वयस्कों ने कहा कि सामान्य नींद के समय के साथ काम के घंटों का बहुत बढ़ जाना (शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर) नींद में एक प्रमुख बाधा है। अन्य 32 प्रतिशत भारतीय वयस्कों ने कहा कि प्रौद्योगिकी भी एक प्रमुख नींद विकर्षण है।

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